Wednesday, July 30, 2008

नाली के कीडे

चुंकी मै टीवी पत्रकार हुं... इसिलिए आज मैं सेतु समुद्रम के कवरेज के लिए सूप्रिम कोर्ट पहुंच गया... काफी इंतजार के बाद याचिकाकर्ता सूब्रह्मण्यम स्वामी कैमरे के सामने आए और सेतु समुद्रम के मामले पर लगे भाषण देने... हम मिडिया वाले उनकी बाईट मिलने के बाद सोंच रहे थे चलो आज की नौकरी यहीं खत्म... बाईट मिल गई अब वापस चलते हैं ऑफिस में ऐसी की ठंडी हवा खाएंगे... मगर हमें क्या पता था की सूब्रह्मण्यम स्वामी को वहीं खडे एक आम आदमी का सामना करना पडेगा... एक बुढा सिक्ख वहीं खडा था उनकी बाते बडे धयान से सुन रहा था... उनकी बातें खत्म हुई ही थी उस बुढे व्यक्ति नें उन्हे रोक कर अपनी वय्था सुनाने की कोशीश की मगर इन नेताओं को सिर्फ कैमरे से प्रेम है... चलते बने आगे आगे सूब्रह्मण्यम स्वामी और पिछे पिछे वो आम बुढा हिन्दुस्तानी अपनी बात बोलने की कोशीशों मे लगा रहा... हम भी खडे होकर तमाशा देखते रहे मगर सूब्रह्मण्यम स्वामी ने इसपर कोई खास तवज्जो नही दिया और चले गए... वो वयक्ति रोता बिलख्ता चिल्लाता रहा... वो लगातार ये कह रहा था की " उसने कई बार नेताओं से अपनी परेशानी बताने की कोशीश की मगर उसकी बातों को सुनने का कीसी को फूर्सत नही" जाहीर सी बात कौन सुने इस आम हिन्दुस्तानी की बात... उसकी जरुरत तो इनको सिर्फ चुनाव के समय में ही पडती है... अन्त में वो इतना बौखला गया था की की उसने प्रधानमंत्री निवास के सामने बम धमाकों की चेतावनी भी दे डाली... अब आप ही बताईए इस आम आदमी की औकात क्या है जो सूब्रह्मण्यम स्वामी जैसे नेता के सामने खडा हो जाए... होगी कोई परेशानी... कीसे है इस की फिक्र... बेवकुफ आदमी चुनाव फिर आ रहा है...और यही नेता तेरे सामने भीख मांगेगे और तुम नाली के कीडे इन्हे ही वोट दोगे... और हम मिडिया वाले तुम्हारे पास तब पहुंचेंगे जब तुम तडप तडप कर मर जाओगे तब तुम्हारी लाश से पुछेंगे की इसके पिछे दोषी कौन है...

1 comment:

Anil Kumar said...

उस आम आदमी की व्यथा को ब्लाग पर लिख कर आपने बहुत अच्छा काम किया है. भाई पत्रकार इसी लिए तो होता है. लेकिन कुछ और सवाल उठ रहे हैं मेरे दिल में. नेता की तो बाईट ले ली आपने. लेकिन क्या उस आम आदमी की बाईट ली थी आपने? क्या उस घटना को कैमरे में कैद किया? क्या टीवी पर दिखाया? आप तो नेता नहीं हैं, फिर क्यों नहीं की उस नाली के कीड़े की रिपोर्टिंग? सुनने में बुरा लग रहा होगा, माफ़ी चाहूँगा. लेकिन मैं ये आपको नहीं अपितु सभी पत्रकारों को कह रहा हूँ की ऐसी घटनाओं को न सिर्फ़ ब्लॉग पर बल्कि समक्ष जनता के सामने रखा जाए.